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योजनाएं और परियोजना

500 अमृत शहरों के लिए जीआईएस आधारित मास्टर प्लान तैयार करने पर उप-योजना

डैशबोर्ड

500 अमृत शहरों के लिए जीआईएस आधारित मास्टर/विकास योजनाओं का निर्माण अमृत के अंतर्गत महत्वपूर्ण सुधारों में से एक है, जिसे अक्टूबर 2015 में 100% केंद्रीय वित्त पोषित उप-योजना के रूप में अनुमोदित किया गया है।

उद्देश्य :

  • भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) का उपयोग करते हुए सामान्य डिजिटल भू-संदर्भित आधार मानचित्र और भू उपयोग मानचित्र विकसित करना
  • 500 अमृत शहरों के लिए मास्टर प्लान तैयार करना

योजना के घटक :

  • डिजाइन और मानकों के अनुसार 1:4000 के पैमाने पर शहरी डेटाबेस निर्माण
  • जीआईएस बेस मैप पर राज्‍य नगर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम के अनुसार शहर का मास्टर प्लान तैयार करना
  • 3 स्तरों पर क्षमता निर्माण

बजट :

  • उप-योजना की कुल लागत 515.00 करोड़ रु. है, जिसमें से भू-स्थानिक डेटाबेस निर्माण लगभग 115.90 करोड़ रु., डेटा संग्रह और विश्लेषण सहित योजना निर्माण की लागत 388.25 करोड़ रुपये और क्षमता निर्माण 10.85 करोड़ रुपये है।

एनआरएससी के साथ समझौता ज्ञापन :

  • अगस्त 2016 में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय तथा एनआरएससी के बीच भू-स्थानिक डेटाबेस के निर्माण के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। 20 राज्यों में 241 नगरों के जियोडेटाबेस के निर्माण के लिए एनआरएससी को 7.35 करोड़ रु. जारी किया गया है।

वित्तीय प्रगति और वास्‍तविक प्रगति डैशबोर्ड

  • उपलब्धियां
  • जियोडेटाबेस निर्माण के लिए डिजाइन और मानकों को अंतिम रूप दे दिया गया है।
  • जीआईएस-आधारित मास्टर प्लान तैयार करने के लिए परामर्श सेवाओं के प्रापण हेतु मॉडल प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) टेम्पलेट को अंतिम रूप दे दिया गया है।
  • केंद्रीय निधि जारी करने के लिए राज्य कार्य योजना (एसएपी) का खाका (टेम्पलेट) तैयार कर लिया गया है।
  • एसएमडी/राज्य नोडल अधिकारियों की राष्ट्रीय बैठक 13.05.2016, 20.10.2016, 22.09.2017 और 05.07.2019 को आयोजित की गई थी, जिसमें योजना के कार्यान्वयन के तौर-तरीकों पर चर्चा करने के लिए 353 अधिकारियों की कुल भागीदारी थी।
  • मंत्रालय द्वारा मुख्‍य नियोजक, टीसीपीओ की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय निगरानी और समीक्षा समिति का गठन किया गया था। समिति की दो बैठकें दिनांक 06.11.17 और 12 जनवरी 2018 को हुई।

राष्ट्रीय शहरी सूचना प्रणाली

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने 137 नगरों/शहरों के लिए जीआईएस डेटाबेस विकसित करने के लिए मार्च 2006 में राष्ट्रीय शहरी सूचना प्रणाली (एनयूआईएस) योजना शुरू की है। एनयूआईएस योजना में नगरों की संख्या 152 है। देश में दो पैमानों यानी 1:10,000 और 1:2000 में राज्य सरकार के अनुरोध और टीएसी द्वारा अनुमोदन पर शहरों को शामिल/जोड़ा/हटाया जाता है। स्थानिक डेटा के अलावा, इस योजना का एक अन्य घटक है अर्थात राष्ट्रीय शहरी डेटा बैंक और संकेतक (एनयूडीबीआई)। इस प्रकार तैयार किए गए स्थानिक और विशेषता (एट्रीब्‍यूट) डेटाबेस मास्टर प्‍लान/विकास योजनाओं, विस्तृत नगर नियोजन योजनाओं को तैयार करने के लिए उपयोगी होंगे और ई-सुशासन के लिए निर्णय लेने में सहायक के रूप में कार्य करेंगे। योजना का कुल परिव्यय 66.28 करोड़ रु. है, जिसमें से 75% केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा और 25% राज्‍य सरकार का मैचिंग शेयर होगा। स्थानिक डेटा का काम भारतीय सर्वेक्षण, देहरादून, एक राष्ट्रीय मानचित्रण एजेंसी द्वारा किया जाएगा। शहरी स्थानिक डेटा निर्माण के लिए 13 मार्च 2006 को आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय और राष्ट्रीय मानचित्रण एजेंसी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

एनयूआईएस योजना दिशानिर्देश: नगर एवं ग्राम नियोजन संगठन, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने एनयूआईएस योजना के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश तैयार किए हैं।

एनयूआईएस योजना और डिजाइन मानक: एनयूआईएस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने 12 जून, 2002 को एनयूआईएस मानक समिति (एनएससी) का गठन किया है। एनयूआईएस डिजाइन और मानकों के संलेखन समूह ने एक मसौदा रिपोर्ट तैयार की है, जो राष्ट्रीय एनयूआईएस मानकों के रूप में अपनाए जाने वाले 1:10,000/1:2,000/1:1,000 पैमाने, डिजाइन मानक ढांचे, यूएसआईएस, एनयूडीबी और आई तथा एनयूओ डेटा तत्वों पर सामग्री की रूपरेखा तैयार करती है। मानक योजना और प्रबंधन के विभिन्न स्तरों को संबोधित करते हैं और एक व्यापक दस्तावेज को अंतिम रूप दिया गया है, जिसे 3 मई 2006 को एनएनआरएमएस-स्थायी समिति-शहरी की तकनीकी समन्वय समिति (टीसीसी) द्वारा अनुमोदित किया गया है।

एनयूआईएस योजना का रोड मैप: नगर एवं ग्राम नियोजन संगठन, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने योजना के उचित कार्यान्वयन के लिए तैयार किया है। रोड मैप में एनयूआईएस योजना के घटक चरणवार प्रमुख गतिविधियां, हितधारक, फंड प्रबंधन कार्यक्रम और एनयूआईएस योजना के कार्यान्वयन के लिए लक्ष्‍य शामिल हैं।

क्षमता निर्माण एनयूआईएस योजना के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है। सुदूर संवेदन और भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के क्षेत्रों में शहरी प्रबंधकों और फील्ड स्टाफ को प्रशिक्षित करने के लिए लगभग 30 प्रशिक्षण कार्यक्रम, विभिन्न स्तरों पर प्रत्येक कार्यक्रम में 20 प्रतिभागियों को दो साल की अवधि में आयोजित किया जाना है। इसे प्राप्त करने के लिए, एनयूआईएस दिशानिर्देशों के अनुसार, क्षमता निर्माण को विकेन्द्रीकृत किया गया है और आईआईआरएस देहरादून, एनआरएसए हैदराबाद, एसटीआई (एसओआई) हैदराबाद, एसएसी, अहमदाबाद, आईआरएस-एयू, चेन्नई और आरआरएसएससी जैसे प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान हैं, जिनकी शहरी नियोजन और प्रबंधन में सुदूर संवेदन और जीआईएस एप्लीकेशन के क्षेत्रों में प्रशिक्षण देने वालों की पहचान की गई है। राज्य नोडल एजेंसियों को निर्धारित नामांकन प्रपत्र में टीसीपीओ/एमओएचएंडयूए द्वारा आयोजित क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिए कर्मियों की पहचान और नामांकन करना है।

सभी तकनीकी और प्रचालन मुद्दों को हल करने, गतिविधियों के लिए अंतिम समय सीमा निर्धारण करने, मानचित्रण के क्षेत्र, डेटा अधिग्रहण से संबंधित मुद्दों का समाधान करने, जीआईएस डेटाबेस के निर्माणक करने, 1:10,000 और 1:2000 स्केल पर स्थानिक डेटाबेस का एकीकरण करने, एनयूडीबी एंड आई से संबंधित मुद्दों के देखने, उपयोगिताओं के मानचित्रण की निगरानी करने, आवश्यक गुणवत्ता जांच के माध्यम से डेटा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, एप्‍लीकेशन विकास के लिए कार्यप्रणाली का सुझाव देने, वास्तविक समय नमूना डेटाबेस विकसित करने और राज्य एजेंसियों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए टीएसी ने निगरानी और कार्यान्वयन समूह का गठन किया है। निगरानी और कार्यान्वयन समूह नियमित रूप से बैठक कर रहा है और योजना की गतिविधियों और कार्यान्वयन के लिए समय-सीमा को अंतिम रूप दे रहा है।

सभी डिलिवरेबल्स राज्य नोडल एजेंसियों को वितरित किए गए हैं।

योजना 31 मार्च 2016 को सफलतापूर्वक पूर्ण हुई।

शहरी मानचित्रण योजना

1991 में 4615 नगरों और शहरों में 217 मिलियन आबादी (25%) थी, जिनमें से केवल 1200 नगरों में मास्टर प्लान हैं। चूंकि किसी भी नियोजन अभ्यास के लिए उपयुक्त पैमाने पर आधार मानचित्र एक पूर्व-आवश्यकता है, इनकी अपर्याप्तता को पूरी तरह से महसूस किया गया था। चूंकि शहरी मानचित्रों को विभिन्न एजेंसियों जैसे नगर नियोजन विभागों, स्थानीय निकायों, लोक निर्माण विभागों, सेवाओं और उपयोगिता एजेंसियों, कराधान विभाग, सर्वेक्षण और भूमि अभिलेख निदेशालय आदि द्वारा उपयोग किए जाने के लिए बहुउद्देश्यीय होने की आवश्यकता है ताकि विकास और प्रबंधन की योजना और निगरानी के लिए उपयोग किया जा सके। इस योजना में कंप्यूटर आधारित भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) और विशेष रूप से शहरी पर्यावरण के गतिशील पहलू की निगरानी में शहरी नियोजन और विकास के लिए सुदूर संवेदन की तकनीक, को अपनाकर मौजूदा आधार मानचित्रों को तैयार करने और अद्यतन करने के लिए हवाई फोटोग्राफी और सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग) की आधुनिक तकनीक के उपयोग की परिकल्पना की गई है।

नगरों और शहरों के लिए आधार मानचित्रों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आठवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 53 नगरों के लिए हवाई फोटोग्राफी का उपयोग करके बड़े पैमाने पर शहरी मानचित्र तैयार करने के लिए एक पायलट योजना शुरू की गई थी। इस परियोजना में केन्द्र और राज्य स्तर पर नगर नियोजन संगठनों की तकनीकी क्षमताओं के विकास की परिकल्पना की गई थी ताकि पुनरीक्षण चक्र में नक्शों को अद्यतन किया जा सके।

पहले चरण में राज्य सरकारों के परामर्श से नगर एवं ग्राम नियोजन संगठन (टीसीपीओ), कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा छह राज्यों के 25 नगरों को इस योजना के अंतर्गत प्राथमिकता के आधार पर चुना गया था। हवाई फोटोग्राफी और मानचित्रण का काम एनआरएससी को सौंपा गया था।

इसके बाद, दूसरे चरण के अंतर्गत कवर किए गए 19 राज्यों के 25 नगरों की हवाई फोटोग्राफी और मानचित्रण की पहचान की गई और उन्हें एनआरएससी को सौंपा गया। एनआरएससी द्वारा दिसंबर 2004 में सभी 53 नगरों की हवाई फोटोग्राफी और मानचित्रण का कार्य पूरा कर लिया गया। योजना के अंतर्गत तैयार किए गए सभी मानचित्रों को उनके उपयोग के लिए संबंधित राज्य नगर योजना विभागों को भेज दिया गया है।

वित्‍तपोषण

प्रारंभ में आवंटन 4.57 करोड़ रुपये के लिए था, जिसे  मैपिंग के अंतर्गत क्षेत्र में वृद्धि, लागत और प्रौद्योगिकी में एनालॉग फोटोग्रामेट्री से डिजिटल मैपिंग में परिवर्तन के कारण और एनआरएसए के साथ क्षेत्र को मजबूत करने के बाद बजट अनुमान अंततः बढ़ाकर 20.39 करोड़ रु कर दिया गया। योजना के अंतर्गत कुल व्यय (दोनों चरणों में) 20.19 करोड़ रुपये किेया गया।

डाटा बेस संगठन और मानचित्र निर्माण

हवाई तस्वीरों से उत्पन्न यूएमएस आधार मानचित्रों को व्यापक रूप से 107 फीचर वर्गों में व्यवस्थित किया जाता है, जो 5 भू-उपयोग वर्गों के अनुरूप होते हैं, जैसे कि निर्मित संरचना, रूपरेखा (कॉन्टूर्स), खुली जगह/जंगल, नदी/नहर और सड़क/रेल। प्रत्येक फीचर वर्ग ऑटोकैड में डीडब्‍ल्‍यूजी प्रारूप में 107 परतों वाले समग्र डेटा सेट में एक परत का प्रतिनिधित्व करता है। भौगोलिक विशेषताओं के आधार पर परतों को टेक्स्ट लेयर के रूप में लेबल के अलावा पॉइंट, पॉलीलाइन या पॉलीगॉन फीचर्स के रूप में संग्रहित किया जाता है। मौजूदा डेटा में डीडब्ल्यूजी प्रारूप में परतों के रूप में निम्नलिखित विशेषताएं हैं जिनमें स्थानिक डेटा यानी पॉलीलाइन, पॉलीगॉन और पॉइंट और एनोटेशन शामिल हैं। इन परतों में शामिल हैं:

  • सीमाएं
  • निर्मित संरचनाएं
  • रूपरेखा (कॉन्टूर्स)
  • खुली जगह/जंगल
  • नदी/नहर
  • सड़क/रेल

इन परतों में वन और वृक्षारोपण की सीमाएँ और आधिकारिक, औद्योगिक भवन, कॉन्टूर्स (मोटी और पतली), नदी, तालाब, नदी भराव, धारा (एकल और दोहरी), सड़क (धातु और बिना धातु) फुटपाथ आदि जैसी उप सुविधाएँ शामिल हैं। सीएडी चित्र के रूप में शीट वार डेटा में सुविधाओं की विभिन्न परतों को शामिल किया गया है; ये चित्र वर्ष 1998 में हवाई फोटोग्राफी / हवाई सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किए गए थे।

अवलोकन

  • एनआरएसए और राज्य सरकारों द्वारा देखी गई प्रमुख समस्या हवाई फोटोग्राफी के लिए रक्षा मंत्रालय की मंजूरी हासिल करने के संबंध में है, जिसके कारण आसनसोल, सिलीगुड़ी, गुवाहाटी और पांडिचेरी जैसे शहरों की हवाई फोटोग्राफी रोक दी गई, जिसके परिणामस्वरूप परियोजना के निष्पादन में देरी हुई।
  • इसके अलावा, नगर नियोजन विभागों को नक्शों के प्रसंस्करण/उपयोग/अद्यतन के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की खरीद हेतु पर्याप्त धनराशि नहीं मिल रही है।
  • शहरी मानचित्रण योजना ने एक पायलट परियोजना के रूप में सटीक मानचित्र के उपयोग के साथ-साथ प्रभावी शहरी नियोजन के लिए आधुनिक मानचित्रण विधियों की शुरूआत का मार्ग प्रशस्त किया है। तथापि, देश में 4378 शहरी समूहों और नगरों/शहरों को शहरी नियोजन के लिए आधार मानचित्रों की आवश्यकता के मद्देनजर परियोजना के अंतर्गत 53 शहरों का कवरेज नगण्य है।
  • मानचित्रण; बजट की कमी के कारण आधुनिक तरीकों का उपयोग चरणों में करना होगा और इसे दसवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय शहरी सूचना प्रणाली योजना के हिस्से के रूप में शामिल किया गया है।

यूएमएस डेटाबेस का उपयोग और अनुप्रयोग

योजना के अंतर्गत सृजित मानचित्रों को उनके उपयोग के लिए संबंधित राज्य नगर नियोजन विभागों को भेज दिया गया है। तकनीकी सलाहकार समिति की बैठक के दौरान प्रतिक्रिया (फीडबैक) से यह देखा गया कि इन मानचित्रों का उपयोग न केवल नगर नियोजन विभागों द्वारा मास्टर प्लान को अद्यतन करने के लिए किया जा रहा है बल्कि अन्य संबद्ध एजेंसियों जैसे उपयोगिता विभागों, उदाहरणार्थ जल आपूर्ति बोर्ड, दूरसंचार विभाग आदि द्वारा भी किया जा रहा है।

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