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रिपोर्ट एवं अध्ययन

कार्य को सरल बनाना (ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस) (2018) के अंतर्गत ग्रेटर मुम्‍बई नगर निगम (एमसीजीएम) और दि.न.नि. में ऑनलाइन भवन निर्माण अनुमति प्रणाली (ऑनलाइन बिल्डिंग परमिशन सिस्टम) पर तृतीय पक्ष लेखापरीक्षा (थर्ड पार्टी ऑडिट) रिपोर्ट।

यह प्रभाग दिल्‍ली नगर निगम और ग्रेटर मुम्‍बई नगर निगम में ऑनलाइन भवन निर्माण अनुमति प्रणाली के लिए अपनाई गई प्रक्रियाओं और सुधारों पर तृतीय पक्ष लेखापरीक्षा (एनआईयूए के सहयोग से) में शामिल हुआ। 'तृतीय पक्ष' के रूप में टीम ने प्रक्रियाएं और चरण तथा उनका एकीकरण सहित प्रणाली में अड़चनों की पहचान की, और दोनों निगमों के ऑनलाइन भवन निर्माण अनुमति प्रणाली (ओबीपीएस) को बेहतर बनाने के लिए अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिए, जिससे विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट के अनुसार 2018 में निर्माण (कंस्ट्रक्शन) परमिट में भारत की रैंकिंग 181वें स्थान से 2019 में 52वें स्थान पर सुधारने में सहायता मिली।

मॉडल भवन निर्माण उप-नियम (एमबीबीएल), 2016)

छत के ऊपर सौर ऊर्जा उपयोग, आगंतुकों के लिए पृथक्कृत स्वच्छता सुविधाएं, प्राकृतिक खतरा संभावित क्षेत्रों के लिए अतिरिक्त विनियम, विरासत भवनों, अड़ोस-पड़ोस और प्राकृतिक सुविधा क्षेत्रों सहित विरासत स्थलों का संरक्षण, दिव्‍यांगों, बच्चों और बुजुर्गों के लिए बाधा मुक्त वातावरण, निर्माण प्रथाओं में वर्षा जल संचयन और जलवायु लचीलापन जैसे उभरते शहरी मुद्दों के मद्देनजर यह महसूस किया गया कि मॉडल भवन निर्माण उप-नियम, 2004 को संशोधित और अद्यतन करने की आवश्यकता है। संशोधित मॉडल भवन निर्माण उप-नियम, (2016) को सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनके संबंधित उप-नियमों में एमबीबीएल की 14 विशेषताओं को शामिल करने की परामर्शिका के साथ परिचालित किया गया।

ग्रामीण क्षेत्र विकास योजना निर्माण और कार्यान्वयन (आरएडीपीएफआई) दिशानिर्देश, (2017)

ग्रामीण क्षेत्रों के संगठित विकास के लिए एक ढांचा प्रदान करने हेतु ग्राम पंचायत क्षेत्रों में योजनाबद्ध स्थानिक विकास को ध्यान में रखते हुए आरएडीपीएफआई दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं। यह विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि भौतिक और सामाजिक अवसंरचना, आर्थिक गतिविधियों, सड़क और परिवहन संपर्क, भूमि मूल्यों और प्रत्याशित आर्थिक गतिविधियों में विकास की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएगा और नियोजित विकास हेतु गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए कृषि क्षेत्रों के संपरिवर्तन हेतु एक व्यावहारिक समाधान का लक्ष्य रखेगा।

शहरी बाढ़ को कम करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी), (2016)

एसओपी को परामर्शिका के रूप में तैयार किया गया और सभी राज्य सरकारों को परिचालित किया गया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य सरकार और शहर प्रशासन के सभी संबंधित विभाग और संगठन बाढ़ प्रभाव न्यूनीकरण प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में उनके द्वारा अपेक्षित विशिष्ट और साथ-साथ (सिंक्रनाइज़) किए जाने वाले उपायों से अवगत हों, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि शहरी बाढ़ को रोकने / न्यूनीकरण करने के लिए सभी कार्यों को बारीकी से और लगातार समन्वित किया जाए।

एलईडी स्ट्रीट लाइटिंग, 2016 की रिपोर्ट

रिपोर्ट जामनगर नगर निगम द्वारा किए गए एलईडी स्ट्रीट लाइटिंग के पर्यावरण अनुकूल परिवर्तन के मॉडल पीपीपी परियोजना के बारे में एक क्षेत्र अध्ययन का परिणाम है। रिपोर्ट के निष्कर्षों को शहरी स्थानीय निकायों के लिए उपयोगी माना है जो पारंपरिक स्ट्रीट लाइट को एलईडी लाइट में बदलने की प्रक्रिया में हैं, ताकि उनके ऊर्जा दक्षता लक्ष्यों को पूरा किया जा सके।

शहरी और क्षेत्रीय विकास योजना निर्माण और कार्यान्वयन (यूआरडीपीएफआई) दिशानिर्देश, (2014)

ये दिशानिर्देश अन्‍य बातों के साथ-साथ ढांचा, आवश्यक तकनीक, मानदंड और मानक, लैंड असेंबली दृष्टिकोण, तकनीकी नवाचार और विकास संवर्धन नियमों सहित संसाधन जुटाने के लिए विकल्प प्रदान करते हैं। इससे शहरी और क्षेत्रीय योजनाओं के निर्माण और कार्यान्वयन के लिए एक एकीकृत ढांचा प्रदान करने की उम्‍मीद है, जो राज्य सरकारों, विकास प्राधिकरणों, निजी क्षेत्र और अन्य नियोजन संगठनों के लिए नियोजन के विभिन्न पहलुओं पर वन-स्टॉप (एक मात्र समाधान) संदर्भ के रूप में कार्य करता है। विभिन्न अधिनियमों, मानकों और विभिन्न प्रकार की टाउनशिप विकसित करने के लिए निजी संस्थाएं इन दिशानिर्देशों का उपयोग कर सकती हैं।

शहरी हरियाली दिशानिर्देश (अर्बन ग्रीनिंग गाइडलाइंस), (2014)

शहरी हरियाली दिशानिर्देश, 2014 को भारतीय शहरों में सड़क के किनारे फुटपाथ के बेतरतीब ढंग से कंक्रीटिंग के खिलाफ एक बांध (बुलवार्क) के रूप में प्रकाशित किया गया था। ये दिशानिर्देश फुटपाथों पर पेड़ों की सुरक्षा और सड़क के किनारे फुटपाथों को बनाते समय पेड़ों का जीवन बढ़ाने के लिए कदम सुझाते हैं। ये दिशानिर्देश राज्‍य नगर एवं ग्राम नियोजन विभागों, शहरी विकास प्राधिकरणों, शहरी स्‍थानीय निकायों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए संदर्भ सामग्री के रूप में उपयोगी साबित होंगे।

दीव जिले के लिए क्षेत्रीय योजना-2031, (2012)

दमन और दीव यूटी प्रशासन के अनुरोध पर प्रभाग ने दमन जिले के लिए मसौदा क्षेत्रीय योजना-2031 तैयार की तथा दमन और दीव प्रशासन को प्रस्तुत की।

डेटा विशेषताएं (शहरी), अनंतिम जनसंख्या योग (पेपर ।।), भारत की जनगणना- 2011, (2012)

रिपोर्ट शहरी क्षेत्रों (शहरों और नगरों) हेतु अनंतिम योगों - 2011 के विश्लेषण का एक परिणाम है।

मॉडल विरासत विनियम, (2011)

श्रेणीबद्ध (ग्रेडेड) विरासत अवसंरचनाओं के संरक्षण के लिए विनियम तैयार किए गए हैं और वे मॉडल के रूप में हैं जिन्हें राज्य सरकारों द्वारा अपने भवन निर्माण विनियमों में अपनाया जा सकता है।

अवधारणा नोट-चंडीगढ़, (2011)

यह नोट अंतर-राज्यीय चंडीगढ़ क्षेत्र योजना बोर्ड के गठन के लिए तौर-तरीकों की व्याख्या करता है।

मेट्रो कॉरिडोर का दृश्य अध्ययन (विज़ुअल स्टडी): भू-उपयोग - परिवहन एकीकरण, (2011)

कॉरिडोर के प्रभाव क्षेत्र में विकास के मौजूदा स्तरों तथा नए विकास और पुन: विकास की क्षमता की पहचान करने के लिए मौजूदा मेट्रो कॉरिडोर (वर्ष 2011) के साथ-साथ दृश्य अध्ययन शुरू किया गया था।

एकीकृत शहरी परिवहन योजना और स्थानिक योजना के लिए कार्यनीति और शहरों को भीड़-भाड़ रहित करने के उपायों पर रिपोर्ट, (2011)

बारहवीं पंचवर्षीय योजना के लिए गठित शहरी परिवहन पर कार्य समूह के लिए रिपोर्ट तैयार की गई थी।

राज्य शहरी विकास विभागों, नगर नियोजन विभागों और योजना विद्यालयों के साथ विचार मंथन सत्रों पर रिपोर्ट, (2011)

इस रिपोर्ट में शहरी क्षेत्रों के नियोजित विकास पर उभरते नए मुद्दों को शामिल करने और योजना पाठ्यक्रम के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में संशोधनों की सिफारिश को ध्‍यान में रखकर 2009-2011 के दौरान राज्य नगर एवं ग्राम नियोजन विभागों, राज्‍य शहरी विकास विभागों और योजना विद्यालयों के साथ आयोजित "विचार मंथन सत्र (ब्रेनस्टॉर्मिंग सेशंस)" का परिणाम दिया गया है।

भवन निर्माण परियोजना की मंजूरी को सुव्यवस्थित करने की प्रक्रिया, (2011)

रिपोर्ट में भवन निर्माण परमिट प्राप्त करते समय विभिन्न मंजूरियों को देने में बोझिल प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने की सिफारिश की गई है।

मास्टर प्लान निर्माण हेतु चंडीगढ़ पर रिपोर्ट, (2010)

गृह मंत्रालय ने टीसीपीओ को चंडीगढ़ के पिछले मास्टर प्लान की समीक्षा करने और चंडीगढ़ के लिए नए मास्टर प्लान को तैयार करने हेतु विचारार्थ विषयों को सुझाने का काम सौंपा। रिपोर्ट शहर की समीक्षा और भविष्य की योजना की कार्यनीति से प्राप्त हुई सिफारिशों का एक परिणाम थी।

शहरी क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों और नागरिक सुविधाओं / पर्यावरण सुरक्षा उपायों के तदनुरूप प्रावधान के बीच बढ़ते बेमेल पर अध्‍ययन के लिए अध्ययन समूह हेतु रिपोर्ट (2009)

8 नए टाउनशिप जैसे नोएडा, ग्रेटर नोएडा, पंचकुला, मोहाली, नवी मुंबई, साल्ट लेक सिटी, मगरपट्टा, पिंपरी-चिंचवाड़ और 3 नगरों अर्थात् उरण, खरार और शिमला, जो अनियोजित तरीके से सामने आए हैं, का चयन करके रिपोर्ट तैयार की गई थी। रिपोर्ट निर्माण गतिविधि और बुनियादी सुविधाओं के तदनुरूप प्रावधान के बीच बेमेल का आकलन करती है।

दादरा और नगर हवेली नियोजन और विकास प्राधिकरण की संगठनात्मक संरचना पर अध्ययन, (2009)

दादरा और नगर हवेली नियोजन और विकास प्राधिकरण ने टीसीपीओ से अपनी 'संगठनात्मक संरचना' पर अध्ययन करने का अनुरोध किया। रिपोर्ट में दादरा और नगर हवेली नियोजन और विकास प्राधिकरण को सौंपे गए कार्यों के अनुसार विस्तृत संगठनात्मक संरचना का सुझाव दिया गया।

दादरा और नगर हवेली के यू.टी. प्रशासन के लिए विकास प्रभार पर अध्ययन, (2009)

दादरा और नगर हवेली नियोजन और विकास प्राधिकरण ने टीसीपीओ से विकास प्रभारों पर अध्ययन करने का अनुरोध किया। रिपोर्ट में उपयोग करने वाली संस्था, भू-उपयोग में परिवर्तन और अवसंरचना विकास के संबंध में दादरा और नगर हवेली नियोजन क्षेत्र के विकास प्रभारों हेतु सिफारिश की गई।

शहरी भूमि नीति हेतु मॉडल दिशानिर्देश, (2007)

यह रिपोर्ट केंद्र सरकार के स्तर पर शहरी भूमि नीति तैयार करने के पिछले प्रयासों का दस्तावेजीकरण थी और कुशल, न्यायसंगत तथा पर्यावरणीय रूप से मजबूत प्रबंधन के लिए नीतिगत रूपरेखा का सुझाव देती है।

मॉडल भवन निर्माण उप-नियम, (2004)

मॉडल भवन निर्माण उप-नियम को उनकी आवश्यकताओं और स्थानीय स्थितियों के अनुसार समान रूप से अपनाने के लिए राज्य नगर नियोजन विभागों और विकास प्राधिकरणों के मार्गदर्शक के रूप में कार्य करने के लिए तैयार किया गया था।

भू-उपयोग वर्गीकरण सहित शहरी क्षेत्रों की प्रारंभिक योजना सर्वेक्षण के लिए मार्गदर्शिका, (2004)

अध्ययन का उद्देश्य शहरी भू-उपयोग वर्गीकरण के लिए दिशानिर्देश तैयार करना था, जो नगर नियोजन विभागों और विकास प्राधिकरणों के लिए एक मार्गदर्शिका के रूप में कार्य कर सकती है ताकि भू-उपयोग वर्गीकरण को मानकीकृत किया जा सके।

दिल्ली महानगरीय क्षेत्र (डीएमए) नगरों का मूल्यांकन अध्ययन, (2001)

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की योजना के अनुभव से लाभ प्राप्त करके इस अध्ययन में एनसीआर योजना-2001 के समग्र उद्देश्यों को प्राप्त करने में डीएमए नगरों की भूमिकाओं का आकलन करने का प्रयास किया गया।

विरासत शहर (वाल्ड सिटी), दिल्ली हेतु शहरी नवीकरण योजना (2001)

मंत्रालय के कहने पर दिल्ली में विरासत शहर के चुनिंदा क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण की सीमा का पता लगाने के लिए अध्ययन किया गया था। सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर रिपोर्ट में 'विरासत शहर' के कार्यनीतिगत शहरी नवीकरण के लिए उपयुक्त सिफारिशें दीं।

एनसीटी दिल्ली में पट्टाधृति योजना (लीजहोल्ड स्कीम) से पूर्ण स्‍वामित्‍व वाली प्रणाली (फ्रीहोल्ड सिस्टम) में संपरिवर्तन, (2000) 

मंत्रालय के कहने पर एनसीटी दिल्ली में विभिन्न आवासीय इलाकों में किए गए प्राथमिक सर्वेक्षण के आधार पर पट्टाधृति योजना को पूर्ण स्‍वामित्‍व वाली प्रणाली में संपरिवर्तन की प्रभावकारिता का पता लगाने के लिए अध्ययन किया गया था।

नियोजन मानदंड, भवन निर्माण उप-नियम, टैरिफ संरचना, लैंड असेंबली और चयनित महानगरीय शहरों के लिए संसाधन जुटाने पर एक तुलनात्मक अध्ययन (1999)

यह अध्ययन नियोजन मानदंड, भवन निर्माण उप-नियम, टैरिफ संरचना, लैंड असेंबली और संसाधन जुटाने के संबंध में नौ महानगरीय शहरों के बीच एक तुलनात्मक अध्ययन है। यह एक उपयोगी दस्तावेज है जो महानगरीय शहरों के लिए शहरी नियोजन और विकास के इन सभी प्रासंगिक मुद्दों का विवरण देता है। अध्ययन मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया गया था।

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