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रिपोर्ट एवं अध्ययन

शहरी नियोजन पर कार्य दल :

यह एक व्यापक चिंता का विषय है कि आजादी के बाद शहरीकरण की चुनौतियों का सामना करने में शहरी और क्षेत्रीय नियोजन विफल रहे हैं, जिसके कारण शहरीकरण पर मौजूदा नीतिगत ढांचे पर ध्यान देने की जरूरत है। यह जांचने की जरूरत है कि क्या भविष्य के प्रवासियों को मौजूदा शहरों में समायोजित किया जा सकता है, जो पहले से ही पानी की कमी और महंगे अवसंरचना घटकों के कारण महत्वपूर्ण अवसंरचना मुद्दों का सामना कर रहे हैं, या भविष्य के शहरीकरण की मांग को पूरा करने के लिए ग्रीनफील्ड शहरों का निर्माण करना संभव है या शहरीकरण के कुछ अन्य मॉडल को अपनाया जाए। यह मौजूदा शहरों को राहत देने में सक्षम होगा।

उपरोक्त पृष्ठभूमि के साथ, 29 अगस्त, 2017 को टीम रीथिंकिंग अर्बनिज़्म के श्री प्रदीप के सक्सेना द्वारा “शहरीकरण पर पुनर्विचार - स्वर्ण युग की ओर एक कदम (रिथिंकिंग अर्बनिज्म - ए स्टेप टू गोल्डन एरा)” पर प्रस्‍तुतीकरण के परिणामस्‍वरूप शहरी नियोजन से संबंधित मुद्दों की जांच के लिए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार ने दिनांक 26 सितम्‍बर, 2017 के कार्यालय ज्ञापन संख्या के-14011/3/2017-अमृत-।।ए द्वारा  अपर सचिव (अमृत) की अध्यक्षता में एक कार्य दल का गठन किया। इसमें योजना और वास्‍तुकला विद्यालय, राष्‍ट्रीय नगर कार्य संस्‍थान, दिल्ली विकास प्राधिकरण और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग से सदस्य लिए गए। नगर एवं ग्राम नियोजन संगठन (टीसीपीओ) को कार्य दल के सदस्यों के इनपुट के संकलन और रिपोर्ट  तैयार करने का काम सौंपा गया था, जिसे आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय को प्रस्तुत किया गया। मंत्रालय द्वारा यह निर्णय लिया गया कि रिपोर्ट के प्रमुख परिणामों को राष्ट्रीय शहरी नीतिगत ढांचा में शामिल किया जाएगा।

मसौदा राष्ट्रीय शहरी नीतिगत ढांचा   :

राष्ट्रीय शहरी नीतिगत ढांचा यह बताता है कि कैसे शहरों की योजना बनाई जानी चाहिए और समग्र तरीके से सुस्थिर शहरीकरण को बढ़ावा देने को प्रबंधित किया जाना चाहिए। इस मामले को देखने के लिए 03.10.2017 को प्रमुख आर्थिक सलाहकार, आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, निदेशक, पर्यावरण योजना और प्रौद्योगिकी केंद्र, अहमदाबाद (सीईपीटी), यूएन-हैबिटेट (इंडिया) और अन्य के साथ अपर सचिव (स्मार्ट सिटीज) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। शहरीकरण के विभिन्न पहलुओं की जांच की गई तथा “शहरीकरण और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी)” पर अध्याय में योगदान देने के लिए टीसीपीओ को आमंत्रित किया गया। ''शहरीकरण और पर्यावरण'' तथा "शहरीकरण और परिवहन" पर अध्यायों में भी टीसीपीओ ने योगदान दिया।

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