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शहरी मिशन

शहरी मिशन प्रभाग टीसीपीओ में एक नया प्रभाग है जो आईडीएसएमटी और यूआईडीएसएसएमटी के पूर्ववर्ती प्रभागों को मिलाकर बनाया गया है। वर्तमान में यह प्रभाग अमृत मिशन के अंतर्गत सुधारों की निगरानी और मूल्यांकन कर रहा है। इस प्रभाग ने आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के लघु और मझौले नगरों के एकीकृत विकास (आईडीएसएमटी) तथा लघु और मझौले नगरों के लिए अवसंरचना विकास योजना (यूआईडीएसएसएमटी) के कार्यान्वयन और निगरानी को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इस प्रभाग को जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन के अंतर्गत केंद्र द्वारा प्रायोजित यूआईडीएसएसएमटी, आईडीएसएमटी और अमृत सुधारों के संदर्भ में परियोजना रिपोर्ट का मूल्यांकन, एसीए जारी करने की प्रक्रिया, एमओएएस की जांच, परियोजनाओं की निगरानी, क्यूपीआर की जांच, मंत्रालय और राज्य सरकार के साथ समन्वय, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय से सूचना/डाटा मिलान करना और प्रदान करना, संसद के प्रश्‍नों का उत्‍तर देना, संसदीय स्थायी समितियों को स्थिति‍ नोट, वार्षिक बजट तैयार करना, निष्‍पादन बजट, न्यायालय के मामलों, जनहित याचिका, कानूनी नोटिस आदि का उत्‍तर देना जैसे कार्य सौंपे गए हैं।

इस प्रभाग की अध्यक्षता नगर एवं ग्राम नियोजक द्वारा की जा रही है और उन्‍हें दो सह नगर एवं ग्राम नियोजक, एक अनुसंधान अधिकारी, एक अनुसंधान सहायक और चार योजना सहायक द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है।

शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने 25 जून, 2015 को अटल नवीकरण और परिवर्तन मिशन (अमृत) शुरू किया, ताकि जल आपूर्ति, सीवरेज, परिवारों को शहरी परिवहन और शहरों में सुविधाओं का निर्माण जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकता वाली बुनियादी सेवाएं प्रदान की जा सकें, जो सभी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेंगी, विशेष रूप से गरीबों और सुविधाओं से वंचित लोगों के लिए। मिशन में सुधार और क्षमता निर्माण का एक सेट भी शामिल किया गया है। मिशन में 11 सुधारों का एक सेट है, जिसे 4 वर्ष की अवधि के भीतर सभी राज्यों और 500 मिशन शहरों द्वारा लागू किया जाना है।

अब तक 3 साल के लिए मूल्यांकन किया गया है और मंत्रालय द्वारा राज्यों को प्रोत्साहन वितरित किए गए हैं। अमृत योजना के अंतर्गत, 2015-16 के दौरान सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 23 राज्यों ने प्रोत्साहन के लिए दावा प्रस्तुत किया और 20 राज्य योग्य पाए गए। 2016-17 के दौरान 24 राज्यों ने प्रोत्साहन के लिए दावा किया और 16 राज्य योग्य पाए गए तथा 2017-18 में 23 राज्यों ने प्रोत्साहन के लिए दावा किया, जिसमें से 21 राज्य प्रोत्साहन के लिए योग्‍य पाए गए। सुधार कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं और मिशन अवधि 2015-2020 में पूरा होने की उम्मीद है। शहरों में उन्नत पर्यावरणीय परिस्थितियों के साथ पारदर्शिता, शासन और गुणवत्ता सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए इन अमृत सुधारों को लागू किया जाना है। सुधार जो सुशासन, जवाबदेही, सेवा वितरण और बेहतर पर्यावरणीय स्थितियों के लिए उत्‍तरदायी हैं। इसमें बड़े पैमाने पर नगरपालिका शासन, वित्त, नगर सेवा वितरण और पर्यावरण इत्‍यादि शामिल हैं।

राज्यों को जारी निधि और सुधारों का परिणाम :

  • पहले तीन वर्षों में 21 राज्यों को 1240 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए गए। विवरण निम्नानुसार हैं:
  • 2015-16 में सुधारों को कार्यान्वित करने के लिए 20 राज्यों को 400 करोड़ रुपये प्रोत्‍साहन स्‍वरूप दिए गए।
  • 2016-17 में सुधारों को कार्यान्वित करने के लिए 16 राज्यों को 500 करोड़ रुपये दिए गए।
  • 2017-18 में सुधारों को कार्यान्वित करने के लिए 21 राज्यों को 340 करोड़ रुपये प्रोत्‍साहन स्‍वरूप दिए गए।
  • ई-शासन: सुधार का उद्देश्य यूएलबीएस में नागरिक सेवा वितरण और सुशासन में सुधार करना है।
  • शहरी नियोजन और शहर स्तर की योजनाएँ: यह सुधार शहरों में पर्यावरण और रहने की स्थिति में सुधार करता है।
  • भवन निर्माण उप-नियमों की समीक्षा: बेहतर सेवा वितरण, नियोजित विकास, पर्यावरण सुधार और सुरक्षित भवनों का निर्माण।
  • ऊर्जा और जल लेखापरीक्षा: ऊर्जा की बचत और कार्बन फुट प्रिंट को कम करना।
  • स्वच्छ भारत मिशन: पर्यावरण में सुधार और स्वच्छता तथा नागरिकों का स्वास्थ्य।

अमृत-सुधार

अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) – सुधार

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार ने 25 जून, 2015 को अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) शुरू किया है ताकि राष्ट्रीय प्राथमिकता वाली बुनियादी सेवाएं प्रदान की जा सकें अर्थात् परिवारों हेतु पानी की आपूर्ति, सीवरेज, शहरी परिवहन और शहरों में सुविधाओं का निर्माण जो सभी के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेगा, खासकर गरीबों और वंचितों के लिए।

मिशन में सुधार और क्षमता निर्माण का एक सेट भी शामिल किया गया है। मिशन 11 सुधारों के एक सेट को अधिदेश करता है जिसे सभी राज्यों और 500 मिशन शहरों द्वारा 4 वर्षों की अवधि के भीतर लागू किया जाना है।

सुधार कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में है और मिशन अवधि 2015-2020 में पूरा होने की उम्मीद है। जिन अमृत सुधारों को लागू किया जाना है उनसे  शहरों में बेहतर पर्यावरणीय परिस्थितियों के साथ पारदर्शिता, शासन और गुणवत्ता सेवा के वितरण में सुधार होगा। ये सुधार सुशासन, जवाबदेही, सेवा वितरण प्रणाली और बेहतर पर्यावरणीय परिस्थितियों के लिए भी जिम्मेदार हैं। इसमें व्यापक रूप से शामिल किया गया है- नगर शासन, वित्त, नगर सेवा वितरण, और पर्यावरण इत्यादि। अमृत बजट मिशन वक्तव्य/दिशानिर्देशों के अनुसार इन सुधारों को लागू करने वाले राज्यों के लिए बजट में प्रोत्साहन के रूप में 10% का प्रावधान निर्धारित किया गया है। अमृत मिशन वक्तव्य, 2015 के अनुसार 54 लक्ष्‍यों के 11 सेटों की सूची, जिन्हें राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा कार्यान्वित किया जाना है, निम्नानुसार है:

अमृत शहरों के लिए सुधार लक्ष्‍य और समयसीमा की सूची (अमृत दिशानिर्देशों, 2015 के अनुसार)

क्र.सं. प्रकार लक्ष्‍य कार्यान्‍वयन समयसीमा
1 ई-शासन डिजिटल यूएलबी
  • यूएलबी वेबसाइट का निर्माण।
  • 2.  ई-न्यूजलेटर का प्रकाशन। डिजिटल इंडिया पहल
  • 3.  डिजिटल इंडिया को सपोर्ट करें (डक्टिंग पीपीपी मोड पर या यूएलबी द्वारा ही की जाएगी)।

6 महीने

6 महीने

6 महीने

ई-एमएएएस के साथ कवरेज (सॉफ्टवेयर की मेजबानी की तारीख से)
  • जन्म, मृत्यु और विवाह का पंजीकरण,
  • जल और सीवरेज प्रभार,
  • शिकायत निवारण,
  • संपत्ति कर,
  • विज्ञापन कर,
  • लाइसेंस जारी करना,
  • भवन अनुमतियां,
  • नामांतरण,
  • वेतन रोल,
  • पेंशन,
24 महीने
  • ई-खरीद,
  • कार्मिक स्टाफ प्रबंधन और
  • परियोजना प्रबंधन।
36 महीने
2 नगरपालिका संवर्ग का गठन और व्यावसायीकरण
  • म्युनिसिपल काडर की स्थापना।
  • काडर लिंक्ड प्रशिक्षण।
  • यूएलबी में इंटर्न की नियुक्ति के लिए नीति और कार्यान्वयन ।
  • राज्य शहरी स्थानीय निकायों की जनसंख्या, आंतरिक संसाधनों के सृजन और वेतन पर व्यय के आधार पर नगरपालिका पदाधिकारियों की संख्या को सही आकार देने के लिए एक नीति तैयार करेगा।

24 महीने

24 महीने

12 महीने

36 महीने

3 दुहरी प्रविष्टि लेखा – पद्धति को बढ़ाना
  • दुहरी प्रविष्टि लेखा – पद्धति में पूर्ण स्‍थानांतरण और वर्ष 2012-13 के बाद से एक लेखापरीक्षा प्रमाणपत्र प्राप्त करना।
  • आंतरिक लेखा परीक्षक की नियुक्ति।
  • वार्षिक वित्तीय विवरण का वेबसाइट पर प्रकाशन।

12  महीने

24  महीने

प्रत्‍येक वर्ष

4 शहरी नियोजन और शहर स्तर की योजनाएं
  • जीआईएस का उपयोग कर मास्टर प्लान तैयार करना।
  • सेवा स्तर सुधार योजना (एसएलआईपी), राज्य वार्षिक कार्य योजना (एसएएपी) तैयार करना।
  • शहरी विकास प्राधिकरणों की स्थापना करना।
  • 5 वर्षों में शहरों में ग्रीन कवर को उत्तरोत्तर 15% तक बढ़ाने के लिए कार्य योजना बनाना।
  • अमृत शहरों में प्रत्‍येक वर्ष कम से कम एक बाल उद्यान (चिल्ड्रन पार्क) विकसित करना।
  • लोग सार्वजनिक नि‍जी भागीदारी (पीपीपीपी) मॉडल पर निर्भर पार्कों, खेल के मैदानों और मनोरंजक क्षेत्रों के रखरखाव के लिए एक प्रणाली स्थापित करना।
  • राष्‍ट्रीय सुस्थिर पर्यावास मिशन (नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल हैबिटेट) में दिए गए मापदंडों को लागू करने के लिए राज्य स्तरीय नीति बनाना।

48 महीने

6 महीने

36 महीने 

6 महीने  

प्रत्‍येक वर्ष 

12 महीने 

24 महीने 

5 निधियों और कार्यों का हस्तांतरण
  • 14वें वित्त आयोग का शहरी स्थानीय निकायों को हस्तांतरण सुनिश्चित करना।
  • राज्य वित्त आयोग (एसएफसी) की नियुक्ति और निर्णय लेना।
  • समय सीमा के भीतर एसएफसी सिफारिशों का कार्यान्वयन।
  • सभी 18 कार्यों को यूएलबी को हस्तांतरित करना।

6 महीने

12 महीने

18 महीने

12 महीने

6 भवन उपनियमों की समीक्षा
  • भवन उपनियमों में समय-समय पर संशोधन।
  • राज्‍यों द्वारा 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले सभी भवनों और सभी सार्वजनिक भवनों में सोलर रूफ टॉप लगाने के लिए नीति और कार्य योजना तैयार करना।
  • राज्‍यों द्वारा 300 वर्ग मीटर और उससे अधिक के भूखंडों पर सभी वाणिज्यिक, सार्वजनिक भवनों और नए भवनों में वर्षा जल संचयन संरचनाओं के लिए एक नीति और कार्य योजना तैयार करना।
  •  भवन निर्माण की अनुमति देने के लिए सभी स्वीकृतियों के लिए एकल खिड़की मंजूरी (सिंगल विंडो क्लीयरेंस) बनाना।

12 महीने

12–24 महीने

12–24 महीने

12 महीने

7 राज्य स्तर पर वित्तीय मध्यस्थ स्थापित करना
  • वित्तीय मध्यस्थ की स्थापना और संचालन करना- पूल वित्त, बाहरी निधियों तक पहुंच, नगरपालिका बांड जारी करना।
12-18 महीने
8(क) नगर निगम कर और शुल्क में सुधार
  • कम से कम 90% कवरेज,
  • कम से कम 90% वसूली,
  • समय-समय पर संपत्ति कर, शुल्क और अन्य शुल्क को संशोधित करने की नीति बनाना,
  • वेबसाइट पर कर विवरण की डिमांड कलेक्शन बुक (डीसीबी) डालना,
  • गतिशील मूल्य निर्धारण मॉड्यूल वाले गंतव्य विशिष्ट क्षमता के लिए नीति बनाकर विज्ञापन राजस्व की पूर्ण क्षमता प्राप्त करना।
12 महीने
8(ख) उपयोक्ता प्रभारों के उगाही और वसूली में सुधार
  • व्यक्तिगत और संस्थागत मूल्यांकन के लिए उपयोगकर्ता शुल्क पर एक नीति अपनाएं जिसमें पानी के उपयोग के लिए विभेदक दर प्रभारित की गई हो और कमजोर लोगों के हितों की देखभाल के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों को शामिल किया गया हो,
  • पानी के नुकसान को 20% से कम करने के लिए कार्य योजना बनाना और वेबसाइट पर प्रकाशित करना,
  • उपयोगकर्ता शुल्क के लिए अलग खाता,
  • कम से कम 90% बिलिंग
  • कम से कम 90% वूसली।
12 महीने
9 ऋण पात्रता-मूल्यांकन (क्रेडिट रेटिंग)
  • यूएलबी की क्रेडिट रेटिंग को पूरा करना
18 महीने
10 ऊर्जा और जल लेखा परीक्षा
  • ऊर्जा (स्ट्रीट लाइट) और जल लेखा परीक्षा (गैर-राजस्व जल या हानि लेखा परीक्षा सहित),
  • एसटीपी और डब्ल्यूटीपी को अधिक ऊर्जा कुशल बनाना,
  • ऊर्जा कुशल रोशनी का उपयोग करके और अक्षय ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाकर स्ट्रीट लाइट में इष्‍टतम ऊर्जा खपत करना,
  • हरित भवनों के लिए प्रोत्साहन देना (जैसे संपत्ति कर या भवन निर्माण अनुमति/विकास शुल्क से जुड़े शुल्क में छूट)

12 महीने

12 महीने

12 महीने

24 महीने

11 स्वच्छ भारत मिशन
  • खुले में शौच का उन्मूलन,
  • अपशिष्ट संग्रह (100%),
  • कचरे का परिवहन (100%),
  • वैज्ञानिक निपटान (100%)।
36 महीने

लघु और मझौले नगरों के लिए शहरी अवसंरचना विकास (यूआईडीएसएसएमटी) योजना

लघु और मझौले नगरों के लिए शहरी अवसंरचना विकास योजना (यूआईडीएसएसएमटी) मिशन 5 दिसंबर, 2005 को शुरू किया गया, बाद में इस योजना को चल रही परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अवस्‍थांतरण (ट्रांजिशनल) चरण के रूप में अगले 2 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया। जून 2015 में इस योजना को अमृत में शामिल कर लिया गया। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) का उप मिशन 7 वर्ष की मिशन अवधि के लिए 31 मार्च, 2012 तक था।

मिशन अवधि के मुख्य चरण के दौरान 801 परियोजनाओं और अवस्‍थांतर (ट्रांजिशन) चरण में 235 परियोजनाओं सहित कुल 1036 परियोजनाओं को अनुमोदित किया गया और 801 परियोजनाओं के लिए 10041.36 करोड़ रु. तथा 235 परियोजनाओं के लिए 3692.45 करोड़ रु. का एसीए जारी किया गया था। अमृत निधि से 31 चल रही यूआईडीएसएसएमटी परियोजनाओं को सहायता प्रदान की गई और 2017-18 में 437.52 करोड़ रु. का एसीए जारी किया गया था। 1036 परियोजनाओं के लिए 14,171.33 करोड़ रुपये की कुल संचयी अतिरिक्त केंद्रीय सहायता जारी की गई। कुल 466 परियोजनाएं वास्‍तविक रूप से पूरी हो चुकी हैं, जिसमें 297 जल आपूर्ति, 18 सीवरेज, 33 वर्षा जल नालियां, 18 ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, 7 शहरी नवीकरण,  8 जल निकाय का संरक्षण, 83 सड़कें और एक-एक पार्किंग और मिट्टी के कटाव की रोकथाम शामिल हैं।

इस योजना के उद्देश्य निम्नानुसार थे :

  • नगरों और शहरों में ढांचागत सुविधाओं में सुधार
  • राज्य और यूएलबी स्तर पर शहरी क्षेत्र में सुधार
  • अवसंरचनात्मक विकास में सार्वजनिक-निजी-भागीदारी को बढ़ाना
  • नगरों/शहरों के नियोजित एकीकृत विकास को बढ़ावा देना।

लघु और मझौले नगरों का एकीकृत विकास (आईडीएसएमटी) योजना

देश की कुल जनसंख्या 1951 में 361 मिलियन से बढ़कर 2001 में 1027 मिलियन हो गई, जबकि इसी अवधि में शहरी आबादी 62 मिलियन से बढ़कर 285 मिलियन हो गई। महानगरीय शहरों की संख्या 1991 में 23 से बढ़कर 2001 में 35 हो गई। इस प्रकार यह जाहिर होता है कि बड़े शहरों की ओर एक स्पष्ट बदलाव आया, शायद यह लघु और मझौले नगरों में रोजगार के अवसरों की कमी और खराब शहरी अवसंरचनात्‍मक आधार के कारण हुआ। केंद्र द्वारा प्रायोजित लघु और मझौले नगरों के एकीकृत विकास (आईडीएसएमटी) की योजना वर्ष 1979-80 में प्रारंभ की गई और इसे समय-समय पर संशोधन और आशोधन के साथ 2004-2005 तक जारी रखा गया और दिसंबर 2005 में इसे यूआईडीएसएसएमटी योजना में शामिल किया गया। छोटे शहरी केंद्रों के विकास में निवेश से बड़े शहरों में प्रवास कम करने में मदद मिलेगी और साथ ही आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में भी मदद मिलेगी।

आईडीएसएमटी के उद्देश्य :

आईडीएसएमटी योजना के मुख्य उद्देश्य हैं :

  • लघु और मझौले नगरों में अवसंरचनात्‍मक सुविधाओं में सुधार और टिकाऊ सार्वजनिक संपत्ति के निर्माण में मदद करना।
  • आर्थिक विकास और रोजगार के अवसरों का विकेंद्रीकरण और बिखरे हुए शहरीकरण को बढ़ावा देना।
  • आवास, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपयोगों के लिए सेवा स्‍थलों की उपलब्धता बढ़ाना।
  • संविधान (74वां संशोधन) अधिनियम, 1992 में परिकल्पना के अनुसार स्थानिक और सामाजिक-आर्थिक नियोजन को एकीकृत करना।
  • शहरी स्थानीय निकायों को उनकी संपूर्ण वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए संसाधन उत्‍पन्‍न करने वाली योजनाओं को बढ़ावा देना।

नगरों का चयन :

  • आईडीएसएमटी योजना 5 लाख तक की आबादी वाले नगरों / शहरों के लिए लागू होगी।
  • नगरों की राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा योजना के दिशानिर्देशों की रूपरेखा के भीतर उनकी शहरी कार्यनीति के अनुसार पहचान करना और उनको प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  • आईडीएसएमटी योजना केवल उन नगरों पर लागू होगी जहां स्थानीय निकायों के चुनाव हुए हों और निर्वाचित निकाय सत्‍ता में हो।

वित्‍त पोषण हेतु घटक :

  • रिंग, मुख्‍य (आर्टेरियल), बाईपास/लिंक सड़कों और छोटे पुलों सहित मास्टर प्लान सड़क सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण,
  • साइटें और सेवाएं,
  • बस/ट्रक टर्मिनलों का विकास,
  • वर्षा जल (स्टॉर्म वाटर) चैनलों सहित मास्टर प्लान नालियों का निर्माण/उन्नयन,
  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
  • बाजार परिसरों/शॉपिंग सेंटरों का विकास,
  • पर्यटक सुविधाओं का प्रावधान,
  • शहर/नगर के उद्यानों का विकास
  • मास्टर प्लान सड़कों के लिए स्ट्रीट लाइटिंग,
  • बूचड़ख़ाने,
  • प्रमुख सार्वजनिक सुविधाएं जैसे बगीचे, खेल के मैदान, विवाह हॉल, भुगतान करें और शौचालय का उपयोग करें, आदि।
  • साइकिल/रिक्शा स्‍टैण्‍ड,
  • यातायात सुधार और प्रबंधन योजनाएं,
  • पहाड़ी इलाके के नगरों में पुश्‍ता दीवारों का निर्माण और ढलान की स्थिरता उपायों को बनाए रखना,
  • सामाजिक सुविधाएं, विशेष रूप से गरीब वर्गों के लिए।

वित्‍त पोषण पैटर्न : 

स्थानीय निकायों को आईडीएसएमटी योजना के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली केंद्रीय सहायता और राज्य का अंश अनुदान के रूप में दिया जाता है।

(रु. लाख में)

नगर की श्रेणी (जनसंख्‍या) परियोजना लागत अधिकतम केंद्रीय सहायता (अनुदान) राज्य अंश (अनुदान) हुडको/ वित्तीय संस्‍थानों से ऋण/ अन्‍य स्रोत
ए (<20000) 100 48 32 20 (20%)
बी (20000 - 50000) 200 90 60 50 (25%)
सी (50000 - 100000) 350 150 100 100 (29%)
डी (1 - 3 लाख) 550 210 140 200 (36%)
ई (3 - 5 लाख) 750 270 180 300 (40%)

आईडीएसएमटी योजना के अंतर्गत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में सक्षम होने के लिए राज्य सरकारों / नगर पालिकाओं को 60 (केंद्रीय अनुदान): 40 (राज्य अनुदान) के आधार पर अनुदान सहायता राशि उपलब्ध होगी, जिसकी कुल लागत केंद्रीय शहरी अवसंरचना सहायता योजना (सीयूआईएसएस) के अंतर्गत 50000 तक आबादी वाले शहरों के लिए 3.00 लाख रु., 50000 और 1 लाख के बीच आबादी वाले शहरों के लिए 4.00 लाख रु., 1 से 3 लाख के बीच आबादी वाले शहरों के लिए 5 लाख रु. और 3 से 5 लाख के बीच आबादी वाले शहरों के लिए 6.00 लाख रु. तक सीमित होगी।

मूल्यांकन और प्रसंस्करण

राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेशों को नगर एवं ग्राम नियोजन संगठन (टीसीपीओ) को निर्धारित प्रारूप में जांच और मूल्यांकन के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करके भेजनी होती है। राज्य स्तरीय मंजूरी समिति (एसएलएससी) टीसीपीओ द्वारा तैयार मूल्यांकन रिपोर्ट पर विचार करती है और भारत सरकार को केंद्रीय सहायता जारी करने की सिफारिश करती है।

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