भारत सरकार भारत सरकार

योजनाएं

लघु और मझौले नगरों के लिए शहरी अवसंरचना विकास योजना (यूआईडीएसएसएमटी)

टीसीपीओ लघु और मझौले नगरों के लिए शहरी अवसंरचना विकास योजना (यूआईडीएसएसएमटी), जो जेएनएनयूआरएम का एक अंग के रूप में 3 दिसंबर, 2005 को शुरू की गई, की निगरानी के लिए एक नोडल एजेंसी है। इस योजना के निम्‍नलिखित उद्देश्य हैं:

  • शहरों और नगरों की अवसंरचनात्‍मक सुविधाओं में सुधार लाना और टिकाऊ सार्वजनिक परिसंपत्ति और गुणवत्ता उन्मुख सेवाओं को तैयार करने में सहायता करना। अवसंरचनात्‍मक विकास में सार्वजनिक-निजी-भागीदारी को बढ़ाना और नगरों/शहरों के नियोजित एकीकृत विकास को बढ़ावा देना।
  • मिशन अवधि के मुख्य चरण के दौरान, 801 परियोजनाओं और अवस्‍थांतर चरण में 235 परियोजनाओं कुल 1036 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई और 801 परियोजनाओं के लिए 10041.36 करोड़ रुपये तथा 235 परियोजनाओं के लिए 3692.45 करोड़ का एसीए जारी किया गया था। अमृत निधि से 31 चल रही यूआईडीएसएसएमटी परियोजनाओं को सहायता प्रदान की गई और 2017-18 में 437.52 करोड़ रुपये का एसीए जारी किया गया था। 1036 परियोजनाओं के लिए 14,171.33 करोड़ रुपये की कुल संचयी अतिरिक्त केंद्रीय सहायता जारी की गई। कुल 466 परियोजनाओं को भौतिक रूप से पूरा किया गया है जिसमें 297 जल आपूर्ति, 18 सीवरेज, 33 वर्षा जल निकासी, 18 ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, 7 शहरी नवीनीकरण, 8 जल निकाय का संरक्षण, 83 सड़कें और 1 प्रत्येक पार्किंग और मिट्टी के कटाव की रोकथाम की परियोजना शामिल हैं।

7 मेगासिटी के आसपास सैटेलाइट नगरों (यूआईडीएसएसटी) के लिए शहरी अवसंरचना विकास योजना - योजना दिशानिर्देश

सैटेलाइट नगरों (यूआईडीएसएसटी) के लिए शहरी अवसंरचना विकास योजना की यह प्रमुख योजना 7 मेगासिटी के आसपास सैटेलाइट नगरों के लिए शुरू की गई थी। इस योजना के अंतर्गत 7 नगरों को कवर किया गया था, अर्थात् पिलखुवा और सोनीपत (दिल्ली के पास), सानंद (अहमदाबाद के पास), वसई-विरार (मुंबई के पास), विकाराबाद (हैदराबाद के पास), श्रीपेरंबदूर (चेन्नई के पास), और होसाकोट (बेंगलुरु के पास)। इसका उद्देश्‍य जल आपूर्ति, सीवरेज/ड्रेनेज, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाओं के 3 क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ निर्धारित बेंचमार्क के संबंध में सेवाओं के वितरण को बढ़ाने के लिए सुधार करना था।

राष्ट्रीय शहरी सूचना प्रणाली (एनयूआईएस)

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने 137 नगरों/शहरों के लिए जीआईएस डेटाबेस विकसित करने के लिए मार्च 2006 में राष्ट्रीय शहरी सूचना प्रणाली (एनयूआईएस) योजना शुरू की है। एनयूआईएस योजना में नगरों की संख्या 152 है। देश में दो पैमानों यानी 1:10,000 और 1:2000 में राज्य सरकार के अनुरोध और टीएसी द्वारा अनुमोदन पर शहरों को शामिल/जोड़ा/हटाया जाता है। स्थानिक डेटा के अलावा, इस योजना का एक अन्य घटक है अर्थात राष्ट्रीय शहरी डेटा बैंक और संकेतक (एनयूडीबीआई)। इस प्रकार तैयार किए गए स्थानिक और विशेषता (एट्रीब्‍यूट) डेटाबेस मास्टर प्‍लान/विकास योजनाओं, विस्तृत नगर नियोजन योजनाओं को तैयार करने के लिए उपयोगी होंगे और ई-सुशासन के लिए निर्णय लेने में सहायक के रूप में कार्य करेंगे। योजना का कुल परिव्यय 66.28 करोड़ रु. है, जिसमें से 75% केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा और 25% राज्‍य सरकार का मैचिंग शेयर होगा। स्थानिक डेटा का काम भारतीय सर्वेक्षण, देहरादून, एक राष्ट्रीय मानचित्रण एजेंसी द्वारा किया जाएगा। शहरी स्थानिक डेटा निर्माण के लिए 13 मार्च 2006 को आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय और राष्ट्रीय मानचित्रण एजेंसी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

लघु और मझौले शहरों का एकीकृत विकास (आईडीएसएमटी)

टीसीपीओ 1979-80 में अपनी स्थापना के बाद से लघु और मझौले शहरों (आईडीएसएमटी) के एकीकृत विकास की निगरानी कर रहा है। इस योजना के अंतर्गत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 1854 नगरों को शामिल किया गया है और 1069.90 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता जारी की गई है। इस योजना ने लघु और मझौले शहरों में अवसंरचनात्‍मक सुविधाओं में सुधार करने में मदद की। इस योजना को 2005-06 से यूआईडीएसएसएमटी की नई योजना में शामिल कर लिया गया है।

शहरी मानचित्रण योजना

नगरों और शहरों के लिए आधार मानचित्रों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आठवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 53 नगरों के लिए हवाई फोटोग्राफी का उपयोग करके बड़े पैमाने पर शहरी मानचित्र तैयार करने के लिए एक पायलट योजना शुरू की गई थी। इस परियोजना में केन्द्र और राज्य स्तर पर नगर नियोजन संगठनों की तकनीकी क्षमताओं के विकास की परिकल्पना की गई थी ताकि पुनरीक्षण चक्र में नक्शों को अद्यतन किया जा सके। पहले चरण में राज्य सरकारों के परामर्श से नगर एवं ग्राम नियोजन संगठन (टीसीपीओ), कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा छह राज्यों के 25 नगरों को इस योजना के अंतर्गत प्राथमिकता के आधार पर चुना गया था। हवाई फोटोग्राफी और मानचित्रण का काम एनआरएससी को सौंपा गया था। इसके बाद, दूसरे चरण के अंतर्गत कवर किए गए 19 राज्यों के 25 नगरों की हवाई फोटोग्राफी और मानचित्रण की पहचान की गई और उन्हें एनआरएससी को सौंपा गया। एनआरएससी द्वारा दिसंबर 2004 में सभी 53 नगरों की हवाई फोटोग्राफी और मानचित्रण का कार्य पूरा कर लिया गया। योजना के अंतर्गत तैयार किए गए सभी मानचित्रों को उनके उपयोग के लिए संबंधित राज्य नगर योजना विभागों को भेज दिया गया है।

महत्वपूर्ण लिंक