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छोटे और मध्यम शहरों का एकीकृत विकास

देश की कुल जनसंख्या 1951 में 361 मिलियन से बढ़कर 2001 में 1027 मिलियन हो गई, जबकि इसी अवधि में शहरी आबादी 62 मिलियन से बढ़कर 285 मिलियन हो गई। महानगरीय शहरों की संख्या 1991 में 23 से बढ़कर 2001 में 35 हो गई। इस प्रकार यह जाहिर होता है कि बड़े शहरों की ओर एक स्पष्ट बदलाव आया, शायद यह लघु और मझौले नगरों में रोजगार के अवसरों की कमी और खराब शहरी अवसंरचनात्‍मक आधार के कारण हुआ। केंद्र द्वारा प्रायोजित लघु और मझौले नगरों के एकीकृत विकास (आईडीएसएमटी) की योजना वर्ष 1979-80 में प्रारंभ की गई और इसे समय-समय पर संशोधन और आशोधन के साथ 2004-2005 तक जारी रखा गया और दिसंबर 2005 में इसे यूआईडीएसएसएमटी योजना में शामिल किया गया। छोटे शहरी केंद्रों के विकास में निवेश से बड़े शहरों में प्रवास कम करने में मदद मिलेगी और साथ ही आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में भी मदद मिलेगी।

आईडीएसएमटी के उद्देश्य :

आईडीएसएमटी योजना के मुख्य उद्देश्य हैं :

  • लघु और मझौले नगरों में अवसंरचनात्‍मक सुविधाओं में सुधार और टिकाऊ सार्वजनिक संपत्ति के निर्माण में मदद करना।
  • आर्थिक विकास और रोजगार के अवसरों का विकेंद्रीकरण और बिखरे हुए शहरीकरण को बढ़ावा देना।
  • आवास, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपयोगों के लिए सेवा स्‍थलों की उपलब्धता बढ़ाना।
  • संविधान (74वां संशोधन) अधिनियम, 1992 में परिकल्पना के अनुसार स्थानिक और सामाजिक-आर्थिक नियोजन को एकीकृत करना।
  • शहरी स्थानीय निकायों को उनकी संपूर्ण वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए संसाधन उत्‍पन्‍न करने वाली योजनाओं को बढ़ावा देना।

नगरों का चयन :

  • आईडीएसएमटी योजना 5 लाख तक की आबादी वाले नगरों / शहरों के लिए लागू होगी।
  • नगरों की राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा योजना के दिशानिर्देशों की रूपरेखा के भीतर उनकी शहरी कार्यनीति के अनुसार पहचान करना और उनको प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  • आईडीएसएमटी योजना केवल उन नगरों पर लागू होगी जहां स्थानीय निकायों के चुनाव हुए हों और निर्वाचित निकाय सत्‍ता में हो।

वित्‍त पोषण हेतु घटक :

  • रिंग, मुख्‍य (आर्टेरियल), बाईपास/लिंक सड़कों और छोटे पुलों सहित मास्टर प्लान सड़क सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण,
  • साइटें और सेवाएं,
  • बस/ट्रक टर्मिनलों का विकास,
  • वर्षा जल (स्टॉर्म वाटर) चैनलों सहित मास्टर प्लान नालियों का निर्माण/उन्नयन,
  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
  • बाजार परिसरों/शॉपिंग सेंटरों का विकास,
  • पर्यटक सुविधाओं का प्रावधान,
  • शहर/नगर के उद्यानों का विकास
  • मास्टर प्लान सड़कों के लिए स्ट्रीट लाइटिंग,
  • बूचड़ख़ाने,
  • प्रमुख सार्वजनिक सुविधाएं जैसे बगीचे, खेल के मैदान, विवाह हॉल, भुगतान करें और शौचालय का उपयोग करें, आदि।
  • साइकिल/रिक्शा स्‍टैण्‍ड,
  • यातायात सुधार और प्रबंधन योजनाएं,
  • पहाड़ी इलाके के नगरों में पुश्‍ता दीवारों का निर्माण और ढलान की स्थिरता उपायों को बनाए रखना,
  • सामाजिक सुविधाएं, विशेष रूप से गरीब वर्गों के लिए।

वित्‍त पोषण पैटर्न : 

स्थानीय निकायों को आईडीएसएमटी योजना के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली केंद्रीय सहायता और राज्य का अंश अनुदान के रूप में दिया जाता है।

(रु. लाख में)

नगर की श्रेणी (जनसंख्‍या) परियोजना लागत अधिकतम केंद्रीय सहायता (अनुदान) राज्य अंश (अनुदान) हुडको/ वित्तीय संस्‍थानों से ऋण/ अन्‍य स्रोत
ए (<20000) 100 48 32 20 (20%)
बी (20000 - 50000) 200 90 60 50 (25%)
सी (50000 - 100000) 350 150 100 100 (29%)
डी (1 - 3 लाख) 550 210 140 200 (36%)
ई (3 - 5 लाख) 750 270 180 300 (40%)

आईडीएसएमटी योजना के अंतर्गत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में सक्षम होने के लिए राज्य सरकारों / नगर पालिकाओं को 60 (केंद्रीय अनुदान): 40 (राज्य अनुदान) के आधार पर अनुदान सहायता राशि उपलब्ध होगी, जिसकी कुल लागत केंद्रीय शहरी अवसंरचना सहायता योजना (सीयूआईएसएस) के अंतर्गत 50000 तक आबादी वाले शहरों के लिए 3.00 लाख रु., 50000 और 1 लाख के बीच आबादी वाले शहरों के लिए 4.00 लाख रु., 1 से 3 लाख के बीच आबादी वाले शहरों के लिए 5 लाख रु. और 3 से 5 लाख के बीच आबादी वाले शहरों के लिए 6.00 लाख रु. तक सीमित होगी।

मूल्यांकन और प्रसंस्करण

राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेशों को नगर एवं ग्राम नियोजन संगठन (टीसीपीओ) को निर्धारित प्रारूप में जांच और मूल्यांकन के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करके भेजनी होती है। राज्य स्तरीय मंजूरी समिति (एसएलएससी) टीसीपीओ द्वारा तैयार मूल्यांकन रिपोर्ट पर विचार करती है और भारत सरकार को केंद्रीय सहायता जारी करने की सिफारिश करती है।

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